अचानक क्यों दगा दे जाता है दिल?

अचानक कार्डियक अरेस्ट सच में अचानक नहीं होता। भारत में हर साल 28–30 लाख लोग दिल से जुड़ी बीमारियों से मरते हैं। uplive24.com पर जानिए हार्ट डिजीज, जांच, इलाज और खर्च।

Cardiovascular disease : हर बार जब भी कोई सिक्स पैक एब्स वाला एकदम फिट युवा सिलेब्रिटी अपने सीने पर हाथ रखकर एकाएक गिर पड़ता है और 'अचानक आए कार्डियक अरेस्ट' से उसकी मौत हो जाती है, तो मीडिया में चर्चा होने लगती है। बात इस पर भी होती है कि आखिर इससे कैसे बचा जा सकता था, लेकिन दुर्भाग्य से इस पर बहुत ही कम बात होती है कि अचानक आए ये कार्डिक अरेस्ट इतने भी अचानक नहीं आते।

कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest) यानी दिल की धड़कन का अप्रत्याशित रूप से रुक जाना। अचानक आए कार्डियक अरेस्ट से मारे गए इन लोगों ने अगर करीब 10 साल पहले कार्डियक स्क्रीनिंग करा ली होती, तो उनकी बीमारी पहले ही पता चल जाती। उसे बढ़ने से भी रोका जा सकता था। 

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यहां हर किसी को यह समझ लेना चाहिए कि पहले से मौजूद बीमारी के बिना हार्ट कभी फेल नहीं होता। इन सभी बीमारियों की कार्डियक अरेस्ट आने से बरसों पहले जांच की जा सकती थी। इन जांच के लिए किसी बड़े अस्पताल जाने की ज़रूरत भी नहीं। ये टेस्ट छोटे शहरों के डायग्नोस्टिक लैब में भी किए जा सकते हैं।

इस तरह की ज़्यादातर बीमारियों का इलाज उपलब्ध है, लेकिन उसके लिए मर्ज का शुरुआत में ही पकड़ में आना ज़रूरी है। जितनी ज़्यादा देर होगी, ख़तरा और इलाज का खर्च उतना ही बढ़ेगा। आइए समझते हैं कि हृदय रोग यानी कार्डियोवैस्कुलर क्या होता है और क्या है इसका इलाज :

क्या होती है कार्डियोवस्कुलर डिजीज?

कार्डियोवस्कुलर डिजीज (Cardiovascular disease) यानी हार्ट डिजीज में हृदय और खून की नलियां (Artery and vein) प्रभावित होती हैं। यह बीमारी काफी घातक होती है। साल 2019 में करीब 1 करोड़ 80 लाख यानी 32 फीसदी मौतें हार्ट डिजीज से हुईं। भारत की बात करें, तो यहां करीब 25 फीसदी लोगों ने हृदय रोग के चलते जान गंवाई। 

कितनी तरह के होते हैं हृदय रोग?

हार्ट डिजीज कई तरह के होते हैं। भारत में कोरोनरी, सेरेब्रोवस्कुलर और रूमेटिक जैसे हृदय रोग होते हैं। कोरोनरी आर्टरी की बीमारी अमूमन अमीर तबके में दिखती है। वहीं, रुमैटिक हार्ट डिजीज ज्यादातर कम आमदनी वाले लोगों को शिकार बनाती है। पहले कोरोनरी डिजीज 40 साल के ऊपर के लोगों में नजर आती थी, लेकिन अब नई उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। 

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हार्ट से जुड़ी दिक्कतों की वजह क्या है?

हृदय रोग कई वजहों से होता है। फास्ट फूड या ज्यादा तला-भुना खाने वालों में हार्ट से जुड़ी दिक्कतें ज़्यादा होती हैं। खराब लाइफस्टाइल यानी खानपान और सोने का समय तय न होना भी इसकी एक बड़ी वजह है। उम्रदराज लोगों को दूसरी बीमारियों के चलते भी दिल से जुड़ी बीमारियां हो जाती हैं।

अगर युवाओं की बात करें, उन्हें हार्ट अटैक जैसी समस्या अमूमन तनाव की वजह से होती है। करियर, फैमिली और रिलेशनशिप जैसी चीज़ों को लेकर युवा काफी परेशान रहते हैं, जिसका अंजाम आखिर में हार्ट डिजीज के रूप में निकलता है।

अब बात ट्रीटमेंट और खर्चे की

हार्ट डिजीज में डॉक्टर की परामर्श फीस हजार से दो हजार रुपये होती है। अगर डॉक्टर को मरीज के भीतर किसी तरह के लक्षण दिखते हैं, तो वह टेस्ट की सलाह देता है। एंजियोग्राफी टेस्ट सात हजार से 20 हजार रुपये में होता है। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, इकोकार्डियोग्राम और कार्डियक एमआरआई जैसे दूसरे टेस्ट का खर्च 10 से 25 हजार रुपये के बीच है। 

इतने टेस्ट के बाद जाहिर हो जाता है कि बीमारी कितनी गंभीर है और इलाज में कितनी रकम लगेगी। फिर कार्डियोलॉजिस्ट मेडिकेशन या फिर सर्जरी की सलाह देगा। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी बीमारी कितनी गंभीर है। अगर दिल को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है तो डॉक्टर दवा लेने की सलाह देंगे। मेडिकेशन का खर्च अमूमन इस बात पर निर्भर करता है कि दवा कब तक चलेगी, डोज क्या होगी, दवाएं ब्रैंडेड होंगी या जेनेरिक।

अगर बीमारी गंभीर होती है और एंजियोप्लास्टी (स्टेंट इम्प्लांटेशन) करना पड़ता है, तो ढाई से 4 लाख रुपये लग सकते हैं। ड्यूल चेम्बर पेसमेकर लगाने की स्थिति में तीन लाख रुपये खर्च होते हैं। अगर बात बाईपास सर्जरी तक पहुंचती है, तो 4 से 5 लाख रुपये तक लगते हैं। अगर वॉल्व खराब हो गया, तो उसके रिप्लेसमेंट का खर्च 5 से 6 लाख रुपये मानकर चलिए।

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इलाज के बाद का खर्च 

सर्जरी के बाद मरीज का काफी ध्यान रखना पड़ता है। सही तरीके से रिकवर करने के लिए लंबे वक़्त तक दवा चलती है और इसका खर्च डेढ़ से दो हज़ार रुपये महीना हो सकता है। फिर हर तीसरे महीने ब्लड टेस्ट करना पड़ता है, जिसके लिए एक से दो हजार रुपये देने पड़ते हैं। इकोकार्डियोग्राम का खर्च 2 से 4 हजार रुपये सालाना तक हो सकता है। 

दिल की सेहत का कैसे रखें ख्याल?

हार्ट से जुड़ी बीमारियां काफी घातक होती हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप एहतियात बरतें, ताकि ये बीमारियां आपको अपना शिकार न बनाएं। दिल को सेहतमंद रखने के लिए आपको हर दिन हल्की फुल्की एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। आप मानसिक शांति के लिए योग की भी मदद ले सकते हैं। 

खाने में जितना हो सके, फल और हरी सब्जियों को शामिल करना चाहिए। बाहर के खाने से परहेज आपके दिल को सेहतमंद रखने में मदद करेगा। साथ ही, 30 साल के बाद नियमित तौर पर हेल्थ चेकअप कराना चाहिए, ताकि शुरुआती स्टेज में ही बीमारी का इलाज किया जा सके।

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